सलोनी के दादा का करिश्मा !

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Anamika Shetty


5 שנים


פורסם: 5 שנים
उस रात मेरी सलोनी के नाना ने मेरी मॉम की कठोर चुदाई की उसका सबसे पहले पता सलोनी के दादा को पड़ा। वे भी कोई कम पहलवान नहीं थे। अच्छी-अच्छी गबरू छोकरियों को उन्होंने इतना तेज और भरकम चोदा कि उनकी आँखों से आँसू निकल गए। जय दादा जी!

दूसरे ही दिन, दिन में वे मॉम से मिलने टपक पड़े। दादा जी हट्टेकट्टे, गौरवर्ण के, मधुर मुस्कान के धनी थे। अलावा वे बलिष्ठ, हृष्टपुष्ट, और संगमरमर जैसी छाती के भी धनी थे। उनकी आँखों की पुतलियाँ दाएँ से बाएँ और बाएँ से दाएं चक्करघिन्नी- सी घूम रही थी। उनके ओठों पर रसीलापन था, और आवाज में मिश्री और मोतियों की खनक। मॉम के लिए वे एक ताजादम फूलों का गजरा और कुछ गहने लाये थे। मॉम ने उन्हें देखा तो वो खुश हुई और उनके चरणस्पर्श को झुकी, उस समय मॉम के नितंब स्वाभाविक रूप से ऊपर उठे हुए थे। दादा जी ने मां के नितंबों पर मृदुल धौल धर उसे गर्भवती होने का अर्थात एक और पुत्ररत्न पैदा करने का आशीर्वाद दे डाला। मॉम सकुचा गई। दादा जी की दिव्य्य दृष्टि का प्रसाद पा लेने के बाद मॉम हर्षित हुई। मॉम ने पिंकी को कहा कि बेटा अपने दादा को ‘विश’ करो तो वो दादा की गोद में खुल कर बैठ गई। लेकिन दादा साहब की टिकटिकी बंधी नजर उर्मि पर थी इसलिए मॉम ने उसे कहा, ” बेटा, तू दादा की गोद लग, वो तुझे प्यार करेंगे’। ‘ दरअसल हम बच्चों के लिए वे गरम गरम गुलाब जामुन लाये थे जिन्हें सबसे पहले उन्होंने उर्मि को चखाया, फिर रिंकी व पिंकी को। मेरा नंबर तो आखिर में आया। मगर गुलाब जामुन में अनोखा स्वाद था।

फिर उन्होंने रिंकी, पिंकी, उर्मि, और मेरी ओर इशारा कर मॉम से कहा कि बच्चे-बच्चियों का स्वास्थ्य थोड़ा कमजोर है, उन्हें मेरी संगत में भेजो तो सही कर दूँ। भला मॉम को क्या एतराज हो सकता था। ‘नेकी और पूछ-पूछ’!!

सलोनी के दादा 58 वर्ष के थे इसलिए अनुभवी भी थे। उन्होंने ताड़ लिया कि मेरी नजर रोमिला आंटी की बिटिया रानी शोभना पर है। वह भी ऊर्मि की उम्र की है अर्थात दस साल की। इधर दादा जी उर्मि की लेने की फिराक में थे। इसलिए वे मुझे पटाने के लिए मेरे सामने प्रस्ताव लाये। बोले– ‘ देख, सच बता शोभना कैसी लड़की है? ‘ मैं चहकते हुए बोला– ‘ वह तो बहुत अच्छी लड़की है। ‘ दादा जी फिर बोले– ‘ नहीं, मेरा मतलब, क्या तू उसकी लेना चाहता है, उसके साथ नंगी मस्ती करेगा? बोल, बेटा!! ” मेरे मुंह में लार छूटने लगी। यह ठीक है कि ऊर्मि सेक्सी है पर हमउम्र होते हुए भी शोभना उससे तीन गुना सेक्सी और गरम थी। मैंने अनजाने में उसे छूआ तो पता लगा वो गज़ब की गरम है। इसलिए मैंने दादा जी से कहा, ” अगर आप उसे मेरे मज़े के लिए पटा सकते हैं तो मैं ऊर्मि को आपके मज़े के लिए राजी कर लूँगा। मगर मैं पहले शोभना को चोदूंगा, बदले में आप ऊर्मि को चोद लेना। दादा जी, पहले शोभना।

दादा जी बोले — ठीक है, रोमिला अर्थात शोभना की मॉम को तो पहले ही पता है कि तू शोभना के संग मज़ा लेना चाहता है। सलोनी की भी एक छोटी बहन है और उसकी छोटी बेटी कंगना तो एकदम कंगन की खनक है, सिर्फ 11 साल की। उसे भी तू रगड़ लेना। फिर रोमिला और सलोनी दोनों ही तेरे संग मज़ा लगाना चाहती हैं सो तू मेरा कहना मानेगा तो मैं सारा काम आसान कर दूंगा। पुख्ता उम्र की औरत कच्ची कली से ज्यादा मज़ा देती है। तुझे इन दोनों औरतों को चोदने में क्या एतराज?

मैं बोला– दादा जी, यह आपने सही कहा। मैं भी पक्का मादरचोद हूँ। दोनों पुख्ता औरतों को ठोक-ठोक कर चोदूंगा पर पहले शोभना और कंगना; फिर अम्मा-अम्मा!

दादा जी ने रोमिला और सलोनी दोनों को अपना अनोखा प्लान बताया। करिस्मा ये कि ये दोनों भी उस प्लान को अंजाम देने तैयार हो गईं। उस रात हम पाँच लोगों ने शाम 7 बजे ही छक कर भोजन कर लिया। शोभना को उसकी मां रोमिला ने ही मेरे लिए सजाया और तैयार टंच किया। वो जीन्स व टी-शर्ट में थी। हम लोग एक बहुत बड़े कमरे में आ गए थे: जहां एक सख्त तख्त था, जिस पर उम्दा कालीन था; एक लंबा-चौड़ा सोफा था; एक मेमोरीफ़ोम का गद्देदार बेड था; एक चार फीट ऊंची टेबल भी थी; एक लंबी बेंच; एक कुर्सी भी। हम चारों लोग बड़े कमरे में आ गए थे। शोभना आखिर में सकुचाते हुए आई। जैसे ही वो आई दादा जी ने उसे खींच कर मेरे से चिपका दिया; मैं सिर्फ निकर पहने था पर वो जीन्स-शर्ट में थी। मैं तत्काल उसके पीछे लग उसके नन्हें छोटे नितंबों से चिपक गया। मेरा एक हाथ उसके पेट और नाभि से खेलने लगा, दूसरा हाथ वहाँ गया जहां जीन्स के भीतर ‘फुद्दी’ थी। वो मुझे भैया-भैया कह रही थी। सलोनी खुल्ले बोली: ” ले-ले-ले, आज भैया के लंड का नंगा मज़ा ले! ”। मैं उसके गाल चूसने- चाटने लगा। उसकी ठुड्डी उठा उसे प्यार करने लगा, जीभ से जीभ भिड़ गई थी, लसदार लोच। दादा जी के प्लान के अनुसार शोभना को मादरजात नंगी करने की ज़िम्मेदारी उसकी अपनी मॉम रोमिला की थी। सो रोमिला ने उसे नंगी कर डाला। मुझे नंगा करने की ज़िम्मेदारी सलोनी पर थी। अब हम दोनों भाई-बहन फुल नंगधड़ंग थे। मेरा नंगा लंड फनफना रहा था। भले ही शोभना को तकलीफ हो मैं आज उसे चोदने को मचल रहा था।

अब दादा जी ने अपना प्लान साफ-साफ हमें बताया। तख्त पर सलोनी पूरी नंगी हो पसर गई; उसके शरीर पर शोभना चढ़ी; मैं शोभना पर सवार हुआ, भेन चोदने। शोभना और मेरा, मुंह से मुंह और पेट से पेट भिड़ रहा था। कशमकश थी, हम दोनों गुत्थमगुत्था। मेरी नंगी गांड पर शोभना की मॉम रोमिला चढ़ी। नीचे से सलोनी शोभना की गांड को धक्कापेल कर रही थी और ऊपर से रोमिला मेरी गांड को धक्का मार रही थी। इस क्रिया से मैं शोभना को बुरी तरह से चोट मार-मार कर चोद रहा था। यह मज़ा देखने कंगना भी आ गई जिसे दादा जी ने पकड़ लिया और वे उसके पीछे चिपक हमें गाइड करने लगे कि मुझे शोभना को कितनी बुरी तरह से चोदना है। मुझे याद है मैंने शोभना को दस बार उलटा-पुलटा किया जिससे मुझे छोटी बहन शोभना की नन्ही गांड का स्वाद भी मिल जाए। दूसरी खेप में उसे खड़ी कर चोदा। उसके मुंह में लौड़ा डाला। इतनी बार डाला कि उसे खांसी हो गई और वो बार-बार अपने मुंह में भरे थूक को बाहर गिरा रही थी। यह सिलसिला सुबह चार बजे तक चला, जब तक कि वो थक के निढाल नहीं हो गई।
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