नई अम्मां की नंगी चुदाई

Started by Aashita Malik · 0 Replies
Posted: 5 yrs
मेरा नाम रमाकांत, उम्र 16 वर्ष, मादरचोद हूँ। दो साल पहले मैंने अपनी सगी मॉम को चोदा। मेरे पापा की नसीहत से मेरी सगी मां भी सेक्स के खेल, खुल कर खेलती थी। मेरी मॉम सेक्स बम है तो मेरी छोटी बहनें : –पिंकी पटाखा तो रिंकी, ऊर्मि सेक्स की फुलझड़ी।मुझे मां-बहन चोदने का दो साल का तजुरबा है। रात डेढ़ बजे तक मैं अपनी बहनों के साथ हमबिस्तर होता हूँ और उसके बाद मॉम के बड़े बेड पर कामकला खेलता हूँ। जिस रात चुदाई होती है उसके अगले दिन हमलोग दिन के 11 बजे ही जगते हैं। हम लोग, मतलब मैं और मॉम।

रोज-रोज चुदाई ना तो होती है, ना ही हो सकती है, और दूसरे काम भी रहते हैं। घर के अंदर की चुदाई भी महीने में दो बार हो पाती है।

पिछले दिनों मॉम मुझे और हम सब बच्चों को लेकर अपनी फ्रेंड के घर गई। वहाँ हम तीन दिन रहे। वह बड़ा, संयुक्त परिवार था। मॉम की फ्रेंड रोमिला रानी के छोटे सुपुत्र कृष्णकांत का विवाह हुआ था। कृष्णकांत 18 का था, बड़ा शर्मीला-सा। बहूरानी 16 साल की, षोड़शी। रोमिला 38 की थी व उसके पति 42 के। बड़े लड़के की शादी दो साल पहले हुई थी, उसकी बड़ी बहुरानी वर्तमान में गर्भवती भी थी। विवाह समारोह के कारण परिवार में भारी भीड़ थी। दादा-नाना और दूसरे बहुत से रिश्तेदार और उनके बच्चे — सब मिलकर चालीस लोग हो गए थे। कम-से-कम सात तो कमसिन लड़कियां ही थीं जिन पर मेरी नजर टिकी। इनकी उम्र 9-11, (टीन-एजर> ) 13-17 के बीच थी। नई ब्याहता के अलावा दो जवान बहूरानियाँ भी थीं। दो दादा-नाना 58 और 62 के थे। यह परिवार भी कमोबेशी सेक्सी था। मुझे मॉम ने कहा कि इस तरह के मौकों पर चुदाई का असली मज़ा आया करता है।

फिर मॉम ने मुझसे कहा, ” आज तुझे तेरी नई अम्मां को चोदना है, वह इसी बड़े परिवार की सेक्सी विधवा है, जैसे मैं हूँ। … वह भी मेरी ही उम्र की है पर गोरी, छरहरी; उसके अंगों के उभार 34-24-34 के हैं।देखने से वह रूपवती, नई ब्याहता लगती है: उस परिवार के देवर, जेठ, ससुर, ये सब उसकी लेना तो चाहते हैं पर वो मना कर देती है। दरअसल बात ये है कि उसकी सगी मां खुद को अपने सगे बेटे से चुदवाती थी, और ये देखती थी। उस बात को याद कर वो दुखी होती है कि ‘काश उसके गर्भ से कोई बेटा निकलता, वो बड़ा होकर मुझे चोदता’।” मॉम बोली ” बेटा, तू उसकी मन्नत पूरी कर दे!”

सुन कर मैं आज्ञाकारी पुत्र की तरह मॉम से चिपट गया, और बोला, ”चोदूंगा, उसे नंगी करके चोदूंगा; मां, मुझे तेरा आशीर्वाद चाहिए। ” फिर मैं फूहड़ हंसी के साथ मॉम को बोला– ‘ और तू? तेरा प्लान क्या है??” वो मेरा गाल मरोड़ते हुए बोली: ‘ मेरा प्लान बहुत भौंडा है पर हर तरह के तजुर्बे भी करना चाहिए। सलोनी के नाना 62 वर्ष के हैं वो आज रात भर मुझे रगड़ेंगे!!!!” उफ़्फ़, हाए!!” मैं बुदबुदाया। फिर मेरे से रहा नहीं गया तो पूछा, ‘ और पिंकी-रिंकी का क्या होगा? ” मॉम मुस्करा कर बोली: ‘ उन दोनों को कृष्णकांत अपनी धर्मपत्नी रूपाली के सामने ही नंगी करके चोदेगा”। मॉम ठहर कर बोली: ”बेटा, ऐसे सेक्सी घर-परिवार में ऐसे ही अंटशंट-लंटशंट चला करता है। ”

मैं सोचता रहा, नई अम्मां, नई मां, नई मॉम? ”Oh, my sweet mom, sexy mother, what a strange but healthy episode you have planned, that I will execute.” कड़क सर्दियों की रात थी, शरद पूर्णिमा। घर की त्तीसरी मंजिल की छत पर बरसाती थी, यानि एक बड़ा कमरा। मॉम मुझे चुपचाप ऊपर ले गई थी। नई अम्मां का नाम ‘ कुसुम मृदुला’ था। उसका तन-बदन कुसुम की तरह कोमल, चिकना, और शहद की मिठास लिए हुए था; रंग केशर सा गोरा, चटक। सिर की केशराशि में सुगंधित फूलों का गजरा। वह नखशिख तक सोलह शृंगार करके बैठी हुई थी, ठुड्डी, मुंह, और नजरें नीचे। वस्त्र मलमल और मखमल के। एक बड़ा पलंग था। सामने आदमक़द दर्पण। पलंग पर भारी गुदगुदा गद्दा व कई-एक तकिये। मधुर मदिरा का भी प्रबंध था। हालांकि वह 38 वर्ष की थी पर देखने में तीस से ज्यादा की नहीं लग रही थी। वह सम्पूर्ण गहने पहने हुए थी, यहाँ तक कि नाक में नथ भी। ललाट पर बिंदी थी; और मांग में सिंदूर। मैं उसे निहार कर चौंक गया।

जैसे ही मैं पहुंचा उसने पलंग पर से अदा से उठ मुझे अभिवादन किया। उस समय मुझे उसकी कमर व नाभि के सेक्सी दर्शन हुए। जबकि वह परंपरागत परिधान में थी मगर मैं आधुनिक लिबास में। उसकी छबि से ऐसा लगता था कि वह अपने धर्मपति के अलावा अबतक किसी से नहीं चुदी। वह शरमा भी बहुत रही थी; हो सकता है अभिनय-निपुण हो!! जो भी हो, मेरे लिए वह धर्म-माता तुल्य और उसके लिए मैं उसका पियारा धर्म-पुत्र था। वह कम से कम भी 38 साल की थी।

जो भी हो, सबसे पहले तो मैं उससे लिपट-चिपट गया। फिर हौले-हौले ” मां-मां ” कहते हुए उसकी नथुनी निकलवाने को इशारा किया ताकि मैं उसे मदहोशी से चूम सकूँ। मुझे पता था कि ये साली कोई सुहागरात नहीं, चाहे नई अम्मा कितने ही नखरे करे,, मुझे तो अपना धर्म-कर्तव्य निभाना है। सो, मां -मां कहते-करते मैं उसके फूले-फले गुलाबी-गुलाबी गालों पर चुम्मे मारने लगा। उसे बाहों में कस कर बिना अपनी जीन्स व टी-शर्ट खोले उसकी दृढ़ जांघों, पेट, और छाती पर सवार हो सीधे-सीधे मम्मे मसोसने लगा। बिना आवताव-हावभाव मैंने झपट कट ब्लाउज और ब्रा उतार फेंकी और मां के मम्मों को मींजने लगा; कठोरता से दबाये, और चुंचियों को अंगुलियों के बीच रगड़ने लगा। फिर चूंची मुंह मे भर चूँसी। मां-मां – – – क्या आम की गुठली से, मां-मां —-क्या संतरे जैसे मम्मे तेरे; मां -मां — क्या किशमिश जैसी तेरी चूंची; आह मां, आहा मां!!!!!!! फिर मैंने अपनी जीन्स उतारी, मैं कमर से नीचे सिर्फ एक अंडरवियर में ही रह गया। उस अवस्था में मैंने मां की साड़ी खींच, कमर की कोर से खींच, और टांगों की तरफ से नीची खिसका मां को अर्धनग्न किया। आह मां, मैं तेरा राजा बेटा। अब मैं अधनंगा और मां अधनंगी, मैं मां के पेट पर सवार हो उसे उचक-निचक उछल-उलट, उलट-सुलट, सुलट-पटक —- मां की छाती, पेट, जांघों का ऊपरी भाग दबा- दबा कर रगड़ने-पीटने लगा। फिर मैंने मां को दाईं-बाईं करवट लुढ़काया, और मेरे हाथ का पंजा मां की गोल-गोल, कसी-कसी गांड पर गया। वाह, मां की मस्तानी गांड, उस को मैं दबा कर सहलाया। गांड के मांस को, मां की गांड के मांस को पौन इंच भीतर की ओर दबाया और चमड़ी खींची। मेरी सांस धौंकनी की तरह चल रही थी और मैंने मां-मां-मां उच्चारते हुए उसकी पेंटी खोल कर डाला— नंगी, मां को नंगी किया, हाँ।

अब वह बेटा ही क्या जो मां को अपना नंगा लंड ना दिखाये। इसलिए मैं बहादुरी से नंगा हुआ व मां का हाथ अपने लौड़े तक खींचा और उसे पकड़ा दिया। मां को अपना उट्ठा हुआ नंगा लौड़ा पकड़ा दिया। अब तक तो मैं ही बेशरम था पर अब मां भी बेशरम–बेहया हुई। बोली– ‘ बेटा, अपने इस नंगे लं ड को मां की चूत … चूत में घुसेड़!!’ वो बोली ” हाये-हाये, इतना मोटा-कड़क लंड तेरा। ” मैंने मां की ठुड्डी पकड़ कर उसे मीठा जवाब दिया– ” हाँ, मां, बेटे का ये मस्त-मोटा लंड तेरी चूत में घुस्स-घुस्स घुसेगा, तनिक सब्र कर। मां, मुझे तू अपनी चूत खुद बेशर्म हो कर दिखा, देख मां, नंगा बोलने में मज़ा आएगा, दिखा अपने बेटे को अपनी चूत!!” वह बोली, ‘ तू भीतर झांक कर देखेगा मां की चूत??” फिर रुक कर मां बोली— ” एक काम कर, राजा बेटा! तू मेरी टांगें और जांघें ऊंची उठा कर मेरे कंधों तक ले आ, और बाहों में कस के बांध दे, फिर मेरी गांड के नीचे तकिया धर, इससे मेरी फुद्दी की फांक चौड़ी हो जाएगी, फिर तू अपनी मां की चूत को निहार!!” वही किया। फिर माँ ने खुद अपने हाथों से अपनी चूत कू भरपूर चौड़ी किया। मैंने दुस्साहस से मां की चूत में अपनी अलग अंगुलियाँ फंसाइ और ध्यान से भीतर का गुलाबी- लाल लाल मांस और झिल्लियाँ देखना टटोलना शुरू किया। फिर मुंह मारा, और चूत के गहरे भीतरी भाग को जानवर की तरह चाटने लगा। मुझे फिर यह लगा कि ये सही मौका है मां की चूत को भीतर से पेलने और चोदने का। इसलिए मैंने अपना उट्ठा हुआ लंड -लौड़ा रेलवे इंजन की शंटिंग की तरह मां की चूत मे घुसेड़ डाला। ओह, मां! फिर मैंने उसकी बंधी हुई टांगें खोल दी। मां ने मेरे लौड़े को टांगें संकरी करके दबा दिया, कस लिया…। अगर मैं अपनी गांड उछाल-उछाल मां को चोद रहा था तो वह भी नीचे से अपनी गांड ऊपर उठा उछाल मार रही थी। फिर मैंने मां की गांड के छेद में और मां ने मेरी गां ड के छेद में अंगुल की। इससे मेरा लंड मां की चूत में और कड़क हो गया। फिर मैं मां के भीतर ही झड़ गया। मां मुस्कराई, और मुझे चूम लिया।
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